एक राजा को जब पता चला कि मेरे राज्य में एक ऐसा व्यक्ति है जिसका सुबह-सुबह मुख देखने से दिन भर भोजन नहीं मिलता है। सच्चाई जानने के इच्छा से उस व्यक्ति को राजा ने अपने महल में बुलाया। दूसरे दिन राजा की व्यस्तता ऐसी बढ़ी कि राजा शाम तक भोजन नहीं कर सका, इस बात से क्रुद्ध होकर राजा ने उसे तत्काल फांसी की सजा का ऐलान कर दिया। आखिरी इच्छा के अंतर्गत उस व्यक्ति ने कहा ” महाराज मेरा मुंह देखने से आप को शाम तक भोजन नहीं मिला, किंतु आप का मुंह देखने से मुझे मौत मिलने वाली है।” इतना सुनते ही लज्जित राजा को संत वाणी याद आ गई
बुरा जो देखन मैं चल्यो, बुरो न मिल्यो कोय, जो दिल ढूँढ्यो आपणो, मुझ सो बुरो न कोय।