एक पक्षी था जो रेगिस्तान में रहता था, बहुत बीमार, कोई पंख नहीं, खाने-पीने के लिए कुछ नहीं, रहने के लिए कोई आश्रय नहीं था। एक दिन एक कबूतर उधर से गुजर रहा था, उस बीमार और दुःखी पक्षी ने कबूतर को रोका और पूछा- “तुम कहाँ जा रहे हो? उसने उत्तर दिया- “मैं स्वर्ग जा रहा हूँ” बीमार पक्षी ने कहा- “कृपया मेरे लिए पता करें, मेरी पीड़ा कब तक समाप्त हो जाएगी?” कबूतर ने कहा- “निश्चित ही मैं पता करूँगा। “कबूतर ने इतना कह कर बीमार पक्षी से विदा ली। कबूतर स्वर्ग पहुंचा और प्रवेश द्वार पर देवदूत को बीमार पक्षी का संदेश दिया। देवदूत ने कहा- “पक्षी के जीवन में अगले सात वर्ष तक इसी तरह कष्ट लिखा हुआ है उसे ऐसे ही सात वर्ष तक कष्ट भोगना पड़ेगा, तब तक उसके जीवन में कोई खुशी नहीं है। कबूतर ने कहा- “जब बीमार पक्षी यह सुनेगा तो वह निराश हो जाएगा क्या आप इसके लिए कोई उपाय बता सकते हैं। देवदूत ने उत्तर दिया- “उससे कहो कि इस वाक्य को हमेशा बोलता रहे…
*”इन सब के लिए भगवान तेरा शुक्र है”।*
वापिसी पर जब वह बीमार पक्षी कबूतर से फिर मिला तो कबूतर ने उस स्वर्गदूत का संदेश दिया
सात-आठ दिनों के बाद कबूतर जब फिर उधर से गुजर रहा था, तब उसने देखा कि
पक्षी बहुत खुश था उसके शरीर पर पंख उग आए थे। उस रेगिस्तानी इलाके में एक छोटा सा पौधा लगा हुआ था, वहां पानी का एक छोटा सा तालाब भी बना हुआ था। चिड़िया खुश होकर नाच रही थी कबूतर चकित था देवदूत ने कहा था कि अगले सात वर्षों तक पक्षी के लिए कोई खुशी नहीं होगी इस सवाल को ध्यान में रखते हुए कबूतर स्वर्ग के द्वार पर देवदूत से मिलने पहुंच गया। कबूतर ने देवदूत से अपने मन में उठते हुए सवालों का समाधान पूछा तो देवदूत ने उत्तर दिया- “हाँ..!! यह सच है कि पक्षी की जिन्दगी में सात साल तक कोई खुशी नहीं लिखी थी लेकिन क्योंकि पक्षी हर स्थिति में “इन सब के लिए भगवान तेरा शुक्र है।” बोल रहा था और भगवान का शुक्र कर रहा था, इस कारण उसका जीवन बदल गया। जब पक्षी गर्म रेत पर गिर गया तो उसने कहा- “इन सब के लिए भगवान तेरा शुक्र है।” जब यह उड़ नहीं सकता था तो उसने कहा-“इन सब के लिए भगवान तेरा शुक्र है।” जब उसे प्यास लगी और आसपास पानी नहीं था, तो उसने कहा- “इन सब के लिए भगवान तेरा शुक्र है।” जो भी स्थिति हो, पक्षी दोहराता रहा- *”इन सब के लिए भगवान तेरा शुक्र है।”* और इसलिए सात साल सात दिनों में समाप्त हो गए।